वीपी सिंह जयंती पर लखनऊ में बोलेगी विरासत की आवाज़!

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

देश के सातवें प्रधानमंत्री और सामाजिक न्याय के अग्रदूत जननायक विश्वनाथ प्रताप सिंह (वी.पी. सिंह) की जयंती का आयोजन, 25 जून को राष्ट्रीय किसान मंच द्वारा लखनऊ के गांधी भवन सभागार में भव्य रूप से किया जा रहा है।

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कार्यक्रम का शुभारंभ दोपहर 12 बजे होगा और यह शाम 4 बजे तक चलेगा। इस आयोजन का उद्देश्य न केवल वीपी सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करना है, बल्कि उनके विचारों और विरासत को जन-जन तक पहुँचाना भी है।

मंच पर होंगे देशभर से विशिष्ट वक्ता

राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष पंडित शेखर दीक्षित ने बताया कि इस आयोजन में देशभर के विचारशील नेता, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल होंगे।
मुख्य वक्ताओं में शामिल हैं:

  • पूर्व केंद्रीय मंत्री सुनील शास्त्री

  • वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व सांसद संतोष भारतीय

  • ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के संस्थापक अखिलेंद्र प्रताप सिंह

  • स्वामी विद्या चैतन्य महाराज, अध्यक्ष – अंतर्राष्ट्रीय सनातन धर्म संस्थान

  • राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष अशोक सिंह

  • मनरेगा मजदूर समिति के अध्यक्ष डॉ. बृज बिहारी

  • एलजेपी (रामविलास) के किसान प्रकोष्ठ प्रमुख एडवोकेट धर्मेंद्र मिश्रा

  • पूर्व आईएएस अधिकारी आलोक अवस्थी

इनके साथ ही कई गणमान्य अतिथि और समाजसेवी भी उपस्थित रहेंगे।

विचारों को जोड़ने की पहल – अनुयायियों को एक मंच

पंडित शेखर दीक्षित का कहना है कि वीपी सिंह जी के अनुयायियों को एक मंच पर लाकर उनके विचारों और कार्यों पर चर्चा करने का यह एक महत्‍वपूर्ण अवसर है।
उन्होंने कहा:

“बाबा साहब के सामाजिक न्याय को अगर किसी ने अमलीजामा पहनाया, तो वो थे वीपी सिंह। आज के राजनीतिक विमर्श में उनके विचारों की गूंज फिर से सुनाई देनी चाहिए।”

विचारों की विरासत को सहेजने की ज़रूरत

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वीपी सिंह जी की राजनीतिक दृष्टि, सामाजिक समानता के सिद्धांत और उनकी संघर्षशील जीवनशैली को नई पीढ़ी तक पहुँचाना है।
शेखर दीक्षित ने यह भी कहा कि:

“आज जब पीडीए (PDA) जैसे नए सामाजिक गठजोड़ उभर रहे हैं, तब भी वीपी सिंह को भुला दिया गया है। ऐसे में राजा साहब के विचारों की विरासत को सहेजना बेहद ज़रूरी है।”

वी.पी. सिंह केवल एक राजनेता नहीं थे, बल्कि वह सामाजिक न्याय के एक विचार थे। राष्ट्रीय किसान मंच की यह पहल राजा साहब की यादों को ज़िंदा रखने और आने वाली पीढ़ी को समानता और न्याय के मूल्य सिखाने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है।

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